ऑल इस्लाम लाइब्रेरी
1

अपने पालनहार के नाम से पढ़, जिसने पैदा किया।

2

जिसने मनुष्य को रक्त के लोथड़े से पैदा किया।

3

पढ़ और तेरा पालनहार बड़े करम (उदारता) वाला है।

4

जिसने क़लम के द्वारा सिखाया।

5

उसने इनसान को वह सिखाया, जो वह नहीं जानता था।

6

कदापि नहीं, निःसंदेह मनुष्य सीमा पार कर जाता है।

7

इसलिए कि वह स्वयं को बेनियाज़ (धनवान्) देखता है।

8

निःसंदेह, तेरे पालनहार ही की ओर वापस लौटना है।

9

क्या आपने उस व्यक्ति को देखा, जो रोकता है।

10

एक बंदे को, जब वह नमाज़ अदा करता है।

11

क्या आपने देखा यदि वह सीधे मार्ग पर हो।

12

या अल्लाह से डरने का आदेश देता हो?

13

क्या आपने देखा यदि उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा?

14

क्या उसने नहीं जाना कि अल्लाह देख रहा है?

15

कदापि नहीं, निश्चय यदि वह नहीं माना, तो हम अवश्य उसे माथे की लट पकड़कर घसीटेंगे।

16

ऐसे माथे की लट जो झूठा और पापी है।

17

तो वह अपनी सभा को बुला ले।

18

हम भी जहन्नम के फ़रिश्तों को बुला लेंगे।

19

कदापि नहीं, आप उसकी बात न मानें, (बल्कि) सजदा करें और (अल्लाह के) निकट हो जाएँ।