ऑल इस्लाम लाइब्रेरी
1

विनाश है नाप-तौल में कमी करने वालों के लिए।

2

वे लोग कि जब लोगों से नापकर लेते हैं, तो पूरा लेते हैं।

3

और जब उन्हें नापकर या तौलकर देते हैं, तो कम देते हैं।

4

क्या वे लोग विश्वास नहीं रखते कि वे (मरने के बाद) उठाए जाने वाले हैं?

5

एक बहुत बड़े दिन के लिए।

6

जिस दिन लोग सर्व संसार के पालनहार के सामने खड़े होंगे।

7

हरगिज़ नहीं, निःसंदेह दुराचारियों का कर्म-पत्र "सिज्जीन" में है।

8

और तुम क्या जानो कि 'सिज्जीन' क्या है?

9

वह एक लिखित पुस्तक है।

10

उस दिन झुठलाने वालों के लिए विनाश है।

11

जो बदले के दिन को झुठलाते हैं।

12

तथा उसे केवल वही झुठलाता है, जो सीमा का उल्लंघन करने वाला, बड़ा पापी है।

13

जब उसके सामने हमारी आयतों को पढ़ा जाता है, तो कहता है : यह पहले लोगों की कहानियाँ हैं।

14

हरगिज़ नहीं, बल्कि जो कुछ वे कमाते थे, वह ज़ंग बनकर उनके दिलों पर छा गया है।

15

हरगिज़ नहीं, निश्चय वे उस दिन अपने पालनहार (के दर्शन) से रोक दिए जाएँगे।

16

फिर निःसंदेह वे अवश्य जहन्नम में प्रवेश करने वाले हैं।

17

फिर कहा जाएगा : यही है, जिसे तुम झुठलाया करते थे।

18

हरगिज़ नहीं, निःसंदेह नेक लोगों का कर्म-पत्र निश्चय "इल्लिय्यीन" में है।

19

और तुम क्या जानो कि 'इल्लिय्यीन' क्या है?

20

वह एक लिखित पुस्तक है।

21

जिसके पास समीपवर्ती (फरिश्ते) उपस्थित रहते हैं।

22

निःसंदेह नेक लोग बड़ी नेमत (आनंद) में होंगे।

23

तख़्तों पर (बैठे) देख रहे होंगे।

24

तुम उनके चेहरों पर नेमत की ताज़गी का आभास करोगे।

25

उन्हें मुहर लगी शुद्ध शराब पिलाई जाएगी।

26

उसकी मुहर कस्तूरी की होगी। अतः प्रतिस्पर्धा करने वालों को इसी (की प्राप्ति) के लिए प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।

27

उसमें 'तसनीम' की मिलावट होगी।

28

वह एक स्रोत है, जिससे समीपवर्ती लोग पिएँगे।

29

निःसंदेह जो लोग अपराधी हैं, वे (दुनिया में) ईमान लाने वालों पर हँसा करते थे।

30

और जब वे उनके पास से गुज़रते, तो आपस में आँखों से इशारे किया करते थे।

31

और जब अपने घर वालों की ओर लौटते, तो (मोमिनों के परिहास का) आनंद लेते हुए लौटते थे।

32

और जब वे उन (मोमिनों) को देखते, तो कहते थे : निःसंदेह ये लोग निश्चय भटके हुए हैं।

33

हालाँकि वे उनपर निरीक्षक बनाकर नहीं भेजे गए थे।

34

तो आज वे लोग जो ईमान लाए, काफ़िरों पर हँस रहे हैं।

35

तख़्तों पर बैठे देख रहे हैं।

36

क्या काफ़िरों को उसका बदला मिल गया, जो वे किया करते थे?