जब आकाश फट जाएगा।
तथा जब तारे झड़ जाएँगे।
और जब समुद्र बह निकलेंगे।
और जब क़बरें उलट दी जाएँगी।
तब प्रत्येक प्राणी जान लेगा, जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।
ऐ इनसान! तुझे किस चीज़ ने तेरे उदार पालनहार से बहका दिया?
जिसने तेरी रचना की, फिर तुझे ठीक ठाक किया, फिर तुझे संतुलित बनाया।
जिस रूप में भी उसने चाहा, तुझे बना दिया।
हरगिज़ नहीं, बल्कि तुम बदले (के दिन) को झुठलाते हो।
हालाँकि निःसंदेह तुमपर निगेहबान नियुक्त हैं।
जो सम्माननीय लिखने वाले हैं।
वे जानते हैं, जो तुम करते हो।
निःसंदेह नेक लोग बड़ी नेमत (आनंद) में होंगे।
और निःसंदेह दुराचारी लोग जहन्नम में होंगे।
वे उसमें बदले के दिन प्रवेश करेंगे।
और वे उससे कभी ग़ायब होने वाले नहीं हैं।
और आप क्या जानें कि बदले का दिन क्या है?
फिर आप क्या जानें कि बदले का दिन क्या है?
जिस दिन कोई प्राणी किसी प्राणी के लिए किसी चीज़ का अधिकार न रखेगा और उस दिन आदेश केवल अल्लाह का होगा।