ऑल इस्लाम लाइब्रेरी
1

निश्चय इनसान पर ज़माने का एक ऐसा समय भी गुज़रा है, जब वह कोई ऐसी चीज़ नहीं था जिसका (कहीं) उल्लेख हुआ हो।

2

निःसंदेह हमने इनसान को मिश्रित वीर्य से पैदा किया, हम उसकी परीक्षा लेते हैं। तो हमने उसे सुनने वाला, देखने वाला बना दिया।

3

निःसंदेह हमने उसे रास्ता दिखा दिया। (अब) वह चाहे कृतज्ञ बने और चाहे कृतघ्न।

4

निःसंदेह हमने काफ़िरों के लिए ज़ंजीरें तथा तौक़ और भड़कती हुई आग तैयार की है।

5

निश्चय सदाचारी लोग ऐसे जाम से पिएँगे, जिसमें कपूर का मिश्रण होगा।

6

यह एक स्रोत होगा, जिससे अल्लाह के बंदे पीएँगे। वे उसे (जहाँ चाहेंगे) बहा ले जाएँगे।

7

जो नज़्र (मन्नत) पूरी करते हैं और उस दिन से डरते हैं जिसकी आपदा चारों ओर फैली हुई होगी।

8

और वे निर्धन, अनाथ और क़ैदी को खाना (खुद) उसकी चाहत रखते हुए भी खिलाते हैं।

9

(और कहते हैं :) हम तो तुम्हें केवल अल्लाह के चेहरे की ख़ातिर खिलाते हैं। न तुमसे कोई बदला चाहते हैं और न कृतज्ञता।

10

हम अपने पालनहार से उस दिन से डरते हैं, जो बहुत कठिन और भयानक होगा।

11

तो अल्लाह ने उन्हें उस दिन की आपदा से बचा लिया और उन्हें ताज़गी तथा खुशी प्रदान की।

12

और उन्हें उनके धैर्य करने के बदले में जन्नत और रेशमी वस्त्र प्रदान किया।

13

वे उसमें तख़्तों पर तकिया लगाए बैठे होंगे। न उसमें धूप देखेंगे और न सख़्त ठंड।

14

और उसके साए उनपर झुके हुए होंगे और उसके फलों के गुच्छे उनके वश में कर दिए जाएँगे।

15

तथा उनपर चाँदी के बरतन और प्याले फिराए जाएँगे, जो शीशे के होंगे।

16

शीशे चाँदी के होंगे, उन्होंने उनका ठीक अनुमान लगाया होगा।

17

और उसमें वे ऐसे जाम पिलाए जाएँगे, जिसमें सोंठ मिली होगी।

18

वह उस (जन्नत) में एक स्रोत है, जिसका नाम सलसबील है।

19

और उनके आस-पास ऐसे बालक फिर रहे होंगे, जो सदा बालक ही रहेंगे। जब तुम उन्हें देखोगे, तो उन्हें बिखरे हुए मोती समझोगे।

20

तथा जब तुम वहाँ देखोगे, तो महान नेमत तथा विशाल राज्य देखोगे।

21

उनके शरीर पर महीन रेशम के हरे कपड़े तथा दबीज़ रेशमी वस्त्र होंगे और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका पालनहार उन्हें पवित्र पेय पिलाएगा।

22

(तथा कहा जाएगा :) निःसंदेह यह तुम्हारा प्रतिफल है और तुम्हारे प्रयास का सम्मान किया गया।

23

निश्चय हम ही ने आपपर यह क़ुरआन थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है।

24

अतः आप अपने पालनहार के आदेश के लिए धैर्य रखें और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न की बात न मानें।

25

तथा प्रातःकाल और संध्या समय अपने पालनहार का नाम याद करते रहें।

26

तथा रात के कुछ हिस्से में भी उसके लिए सजदा करें और लंबी रात तक उसकी पवित्रता का वर्णन करें।

27

निःसंदेह ये लोग शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम रखते है और एक भारी दिन को अपने पीछे छोड़ रहे हैं।

28

हम ही ने उन्हें पैदा किया और उनके जोड़-बंद मज़बूत किए, तथा हम जब चाहेंगे बदलकर उन जैसे अन्य लोग ले आएँगे।

29

निश्चय यह एक उपदेश है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर (जाने वाला) मार्ग पकड़ ले।

30

और तुम अल्लाह के चाहे बिना कुछ भी नहीं चाह सकते। निश्चय अल्लाह सब चीज़ों को जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।

31

वह जिसे चाहता है अपनी दया में दाखिल करता है और अत्याचारियों के लिए उसने दर्दनाक यातना तैयार की है।