ऑल इस्लाम लाइब्रेरी
1

मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन की।

2

तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा करने वाली अंतरात्मा की।

3

क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?

4

क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें।

5

बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी गुनाह करता रहे।

6

वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा?

7

तो जब आँख चौंधिया जाएगी।

8

और चाँद को ग्रहण लग जाएगा।

9

और सूर्य और चाँद एकत्र कर दिए जाएँगे।

10

उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है?

11

कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं।

12

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है।

13

उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।

14

बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह है।

15

अगरचे वह अपने बहाने पेश करे।

16

(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ, ताकि इसे शीघ्र याद कर लें।

17

निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है।

18

अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें।

19

फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है।

20

कदापि नहीं, बल्कि तुम शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम करते हो।

21

और बाद में आने वाली (आख़िरत) को छोड़ देते हो।

22

उस दिन कई चेहरे तरो-ताज़ा होंगे।

23

अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।

24

और कई चेहरे उस दिन बिगड़े हुए होंगे।

25

उन्हें विश्वास होगा कि उनके साथ कमड़ तोड़ देने वाली सख्ती की जाएगी।

26

कदापि नहीं, जब प्राण हँसलियों तक पहुँच जाएगा।

27

और कहा जाएगा : कौन है झाड़-फूँक करने वाला?

28

और उसे विश्वास हो जाएगा कि यह (संसार से) जुदाई का समय है।

29

और पिंडली, पिंडली के साथ लिपट जाएगी।

30

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर जाना है।

31

तो न उसने (सत्य को) माना और न नमाज़ पढ़ी।

32

लेकिन उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा।

33

फिर अकड़ता हुआ अपने परिजनों की ओर गया।

34

तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।

35

फिर तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।

36

क्या इनसान समझता है कि उसे यूँ ही बेकार छोड़ दिया जायेगा?

37

क्या वह वीर्य की एक बूंद नहीं था, जो (गर्भाशय में) गिराई जाती है?

38

फिर वह जमे हुए रक्त का टुकड़ा हुआ, फिर अल्लाह ने पैदा किया और दुरुस्त बनाया।

39

फिर उसने उससे दो प्रकार : नर और मादा बनाए।

40

क्या वह इसमें समर्थ नहीं कि मुर्दों को जीवित कर दे?