1
वह खड़खड़ा देने वाली।
2
क्या है वह खड़खड़ा देने वाली?
3
और तुम क्या जानो कि वह खड़खड़ा देने वाली क्या है?
4
जिस दिन लोग बिखरे हुए पतिंगों की तरह हो जाएँगे।
5
और पर्वत धुने हुए रंगीन ऊन की तरह हो जाएँगे।
6
तो जिसके पलड़े भारी हो गए,
7
तो वह संतोषजनक जीवन में होगा।
8
तथा जिसके पलड़े हल्के हो गए,
9
उसका ठिकाना 'हाविया' (गड्ढा) है।
10
और तुम क्या जानो कि वह ('हाविया') क्या है?
11
वह एक बहुत गर्म आग है।