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क़सम है उन घोड़ों की, जो पेट से साँस की आवाज़ निकालते हुए डौड़ने वाले हैं!

2

फिर टाप मारकर चिंगारियाँ निकालने वाले घोड़ों की क़सम!

3

फिर सुबह के समय हमला करने वाले (घोड़ों) की क़सम!

4

फिर उससे धूल उड़ाते हैं।

5

फिर वे उसके साथ (दुश्मन की) सेना के बीच घुस जाते हैं।

6

निःसंदेह इनसान अपने पालनहार का बड़ा कृतघ्न (नाशुक्रा) है।

7

और निःसंदेह वह इसपर स्वयं गवाह है।

8

और निःसंदेह वह धन के मोह में बड़ा सख़्त है।

9

तो क्या वह नहीं जानता, जब क़ब्रों में जो कुछ है, निकाल बाहर किया जाएगा?

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और जो कुछ सीनों में है, वह प्रकट कर दिया जाएगा।

11

निःसंदेह उनका पालनहार उस दिन उनके बारे में पूरी ख़बर रखने वाला है।