1
क़सम है उन घोड़ों की, जो पेट से साँस की आवाज़ निकालते हुए डौड़ने वाले हैं!
2
फिर टाप मारकर चिंगारियाँ निकालने वाले घोड़ों की क़सम!
3
फिर सुबह के समय हमला करने वाले (घोड़ों) की क़सम!
4
फिर उससे धूल उड़ाते हैं।
5
फिर वे उसके साथ (दुश्मन की) सेना के बीच घुस जाते हैं।
6
निःसंदेह इनसान अपने पालनहार का बड़ा कृतघ्न (नाशुक्रा) है।
7
और निःसंदेह वह इसपर स्वयं गवाह है।
8
और निःसंदेह वह धन के मोह में बड़ा सख़्त है।
9
तो क्या वह नहीं जानता, जब क़ब्रों में जो कुछ है, निकाल बाहर किया जाएगा?
10
और जो कुछ सीनों में है, वह प्रकट कर दिया जाएगा।
11
निःसंदेह उनका पालनहार उस दिन उनके बारे में पूरी ख़बर रखने वाला है।