1
कस़म है धूप चढ़ने के समय की!
2
और क़सम है रात की, जब वह छा जाए।
3
(ऐ नबी!) तेरे पालनहार ने तुझे न तो छोड़ा और न नाराज़ हुआ।
4
और निश्चित रूप से आख़िरत आपके लिए दुनिया से बेहतर है।
5
और निश्चय तेरा पालनहार तुझे प्रदान करेगा, तो तू प्रसन्न हो जाएगा।
6
क्या उसने आपको अनाथ पाकर शरण नहीं दी?
7
और आपको मार्ग से अनभिज्ञ पाया, तो सीधा मार्ग दिखाया।
8
और उसने आपको निर्धन पाया, तो संपन्न कर दिया।
9
अतः आप अनाथ पर कठोरता न दिखाएँ।
10
और माँगने वाले को न झिड़कें।
11
और अपने रब के उपकार का वर्णन करते रहें।