ऑल इस्लाम लाइब्रेरी
1

उस (नबी) ने त्योरी चढ़ाई और मुँह फेर लिया।

2

इस कारण कि उनके पास अंधा आया।

3

और आपको क्या मालूम शायद वह पवित्रता प्राप्त कर ले।

4

या नसीहत ग्रहण करे, तो वह नसीहत उसे लाभ दे।

5

लेकिन जो बेपरवाह हो गया।

6

तो आप उसके पीछे पड़ रहे हैं।

7

हालाँकि आपपर कोई दोष नहीं कि वह पवित्रता ग्रहण नहीं करता।

8

लेकिन जो व्यक्ति आपके पास दौड़ता हुआ आया।

9

और वह डर (भी) रहा है।

10

तो आप उसकी ओर ध्यान नहीं देते।

11

ऐसा हरगिज़ नहीं चाहिए, यह (क़ुरआन) तो एक उपदेश है।

12

अतः जो चाहे, उसे याद करे।

13

(यह क़ुरआन) सम्मानित सहीफ़ों (ग्रंथों) में है।

14

जो उच्च स्थान वाले तथा पवित्र हैं।

15

ऐसे लिखने वालों (फ़रिश्तों) के हाथों में हैं।

16

जो माननीय और नेक हैं।

17

सर्वनाश हो मनुष्य का, वह कितना कृतघ्न (नाशुक्रा) है।

18

(अल्लाह ने) उसे किस चीज़ से पैदा किया?

19

एक नुत्फ़े (वीर्य) से उसे पैदा किया, फिर विभिन्न चरणों में उसकी रचना की।

20

फिर उसके लिए रास्ता आसान कर दिया।

21

फिर उसे मृत्यु दी, फिर उसे क़ब्र में रखवाया।

22

फिर जब वह चाहेगा, उसे उठाएगा।

23

हरगिज़ नहीं, अभी तक उसने उसे पूरा नहीं किया, जिसका अल्लाह ने उसे आदेश दिया था।

24

अतः इनसान को चाहिए कि अपने भोजन को देखे।

25

कि हमने ख़ूब पानी बरसाया।

26

फिर हमने धरती को विशेष रूप से फाड़ा।

27

फिर हमने उसमें अनाज उगाया।

28

तथा अंगूर और (मवेशियों का) चारा।

29

तथा ज़ैतून और खजूर के पेड़।

30

तथा घने बाग़।

31

तथा फल और चारा।

32

तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे पशुओं के लिए जीवन-सामग्री के रूप में।

33

तो जब कानों को बहरा कर देने वाली प्रचंड आवाज़ (क़ियामत) आ जाएगी।

34

जिस दिन इनसान अपने भाई से भागेगा।

35

तथा अपनी माता और अपने पिता (से)।

36

तथा अपनी पत्नी और अपने बेटों से।

37

उस दिन उनमें से प्रत्येक व्यक्ति की ऐसी स्थिति होगी, जो उसे (दूसरों से) बेपरवाह कर देगी।

38

उस दिन कुछ चेहरे रौशन होंगे।

39

हँसते हुए, प्रसन्न होंगे।

40

तथा कुछ चेहरों उस दिन धूल से ग्रस्त होंगे।

41

उनपर कालिमा छाई होगी।

42

वही काफ़िर और कुकर्मी लोग हैं।