All Islam Directory
1

वे आपस में किस चीज़ के विषय में प्रश्न कर रहे हैं?

2

बहुत बड़ी सूचना के विषय में।

3

जिसमें वे मतभेद करने वाले हैं।

4

हरगिज़ नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।

5

फिर हरगिज़ नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।

6

क्या हमने धरती को बिछौना नहीं बनाया?

7

और पर्वतों को मेखें?

8

तथा हमने तुम्हें जोड़े-जोड़े पैदा किया।

9

तथा हमने तुम्हारी नींद को आराम (का साधन) बनाया।

10

और हमने रात को आवरण बनाया।

11

और हमने दिन को कमाने के लिए बनाया।

12

तथा हमने तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत (आकाश) बनाए।

13

और हमने एक प्रकाशमान् तप्त दीप (सूर्य) बनाया।

14

और हमने बदलियों से मूसलाधार पानी उतारा।

15

ताकि हम उसके द्वारा अन्न और वनस्पति उगाएँ।

16

और घने-घने बाग़।

17

निःसंदेह निर्णय (फ़ैसले) का दिन एक नियत समय है।

18

जिस दिन सूर में फूँक मारी जाएगी, तो तुम दल के दल चले आओगे।

19

और आकाश खोल दिया जाएगा, तो उसमें द्वार ही द्वार हो जाएँगे।

20

और पर्वत चलाए जाएँगे, तो वे मरीचिका बन जाएँगे।

21

निःसंदेह जहन्नम घात में है।

22

सरकशों का ठिकाना है।

23

जिसमें वे अनगिनत वर्षों तक रहेंगे।

24

वे उसमें न कोई ठंड चखेंगे और न पीने की चीज़।

25

सिवाय अत्यंत गर्म पानी और बहती पीप के।

26

यह पूरा-पूरा बदला है।

27

निःसंदेह वे हिसाब से नहीं डरते थे।

28

तथा उन्होंने हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया।

29

और हमने हर चीज़ को लिखकर संरक्षित कर रखा है।

30

तो चखो, हम तुम्हारे लिए यातना ही अधिक करते रहेंगे।

31

निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वालों के लिए सफलता है।

32

बाग़ तथा अंगूर।

33

और समान उम्र वाली नवयुवतियाँ।

34

और छलकते हुए प्याले।

35

वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न (एक दूसरे को) झुठलाना।

36

यह तुम्हारे पालनहार की ओर से बदले में ऐसा प्रदान है जो पर्याप्त होगा।

37

जो आकाशों और धरती तथा उनके बीच की हर चीज़ का पालनहार है, अत्यंत दयावान् है। उससे बात करने का उन्हें अधिकार नहीं होगा।

38

जिस दिन रूह़ (जिबरील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, उससे केवल वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और वह ठीक बात कहेगा।

39

यही (वह) दिन है जो सत्य है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर लौटने की जगह (ठिकाना) बना ले।

40

निःसंदेह हमने तुम्हें एक निकट ही आने वाली यातना से डरा दिया है, जिस दिन मनुष्य देख लेगा, जो कुछ उसके दोनों हाथों ने आगे भेजा है, और काफिर कहेगा : ऐ काश कि मैं मिट्टी होता!