ऑल इस्लाम लाइब्रेरी

54 - The Moon - Al-Qamar

:1

क़ियामत बहुत निकट आ गई और चाँद फट गया।

:2

और यदि वे कोई निशानी देखते हैं, तो मुँह फेर लेते हैं और कहते हैं कि (यह) एक जादू है जो समाप्त हो जाने वाला है।

:3

उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का पालन किया और प्रत्येक कार्य का एक निश्चित समय है।

:4

और निःसंदेह उनके पास ऐसी सूचनाएँ आ चुकी हैं, जिनमें डाँटडपट है।

:5

पूर्णतया हिकमत है, फिर भी डरानेवाली चीज़ें काम नहीं आतीं।

:6

अतः आप उनसे मुँह फेर लें, जिस दिन पुकारने वाला एक अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा।

:7

उनकी आँखें झुकी होंगी। वे कब्रों से ऐसे निकलेंगे, जैसे वे बिखरी हुई टिड्डियाँ हों।

:8

वे बुलाने वाले की ओर तेज़ी से भाग रहे होंगे। काफ़िर कहेंगे : यह बड़ा कठिन दिन है।

:9

इनसे पहले नूह़ की जाति ने झुठलाया। तो उन्होंने हमारे बंदे को झुठलाया और कहा कि वह पागल है और उसे झिड़क दिया गया।

:10

तो उसने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह मैं विवश हूँ, अतः तू बदला ले।

:11

तो हमने ज़ोर से बरसने वाले पानी के साथ आकाश के द्वार खोल दिए।

:12

तथा हमने धरती को स्रोतों के साथ फाड़ दिया, तो सारा जल एक साथ मिल गया, उस कार्य के लिए जो नियत हो चुका था।

:13

और हमने उसे तख़्तों और कीलों वाली (नाव) पर सवार कर दिया।

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जो हमारी आँखों के सामने चल रही थी, उसका बदला लेने के लिए जिसका इनकार किया गया था।

:15

और निःसंदेह हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ा, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

:16

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

:17

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

:18

आद ने (भी) झुठलाया। तो कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

:19

निःसंदहे हमने एक निरंतर अशुभ दिन में उनपर एक तेज़ ठंडी हवा भेज दी।

:20

वह लोगों को ऐसे उखाड़ फेंकती थी, जैसे वे उखड़े हुए खजूर के तने हों।

:21

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

:22

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

:23

समूद ने डराने वालों को झुठलाया।

:24

तो उन्होंने कहा : क्या हम अपने ही में से एक आदमी का अनुसरण करें? निश्चय ही हम उस समय बड़ी गुमराही और बावलेपन में होंगे।

:25

क्या यह उपदेश हमारे बीच में से उसी पर उतारा गया है? बल्कि वह बड़ा झूठा है, अहंकारी है।

:26

शीघ्र ही वे कल जान लेंगे कि बहुत झूठा, अहंकारी कौन है?

:27

निःसंदेह हम यह ऊँटनी उनकी परीक्षा के लिए भेजने वाले हैं। अतः उनकी प्रतीक्षा करो और ख़ूब धैर्य रखो।

:28

और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। पीने की प्रत्येक बारी पर उपस्थित हुआ जाएगा।

:29

तो उन्होंने अपने साथी को पुकारा। सो उसने (उसे) पकड़ा और उसका वध कर दिया।

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फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

:31

हमने उनपर एक ही चिंघाड़ भेजी, तो वे बाड़ लगाने वाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह हो गए।

:32

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

:33

लूत की जाति ने डराने वालों को झुठला दिया।

:34

निःसंदेह हमने उनपर पत्थर बरसाने वाली एक हवा भेजी, सिवाय लूत के घरवालों के। उन्हें हमने भोर से कुछ पहले ही बचा लिया।

:35

अपनी ओर से (विशेष) अनुग्रह करते हुए। इसी प्रकार हम उसे बदला देते हैं, जो धन्यवाद करे।

:36

और निःसंदेह उसने उन्हें हमारी पकड़ से डराया, तो उन्होंने डराने में संदेह किया।

:37

और निःसंदेह उन्होंने उसे उसके अतिथियों से बहकाने का प्रयास किया, तो हमने उनकी आँखें मेट दीं। अतः मेरी यातना और मेरी चेतावनी का मज़ा चखो।

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और निःसंदेह सुबह सवेरे ही उनपर एक न टलने वाली यातना आ पहुँची।

:39

अतः मेरे अज़ाब और मेरे डराने का स्वाद चखो।

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और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

:41

तथा निःसंदेह फ़िरऔनियों के पास डराने वाले आए।

:42

उन्होंने हमारी सब निशानियों को झुठला दिया, तो हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार सब पर प्रभुत्वशाली, सबसे शक्तिशाली पकड़ता है।

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क्या तुम्हारे काफ़िर उन लोगों से बेहतर हैं, या तुम्हारे लिए (पहली) पुस्कतों में कोई मुक्ति लिखी हुई है?

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या वे कहते हैं कि हम एक जत्था हैं, जो बदला लेकर रहने वाले हैं?

:45

शीध्र ही यह समूह पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग पीठ दिखाकर भागेंगे।

:46

बल्कि क़यामत ही उनके वादे का समय है और क़ियामत कहीं बड़ी विपत्ति और अधिक कड़वी है।

:47

निश्चय अपराधी लोग बड़ी गुमराही और यातना में हैं।

:48

जिस दिन वे आग में अपने चेहरों के बल घसीटे जाएँगे। (कहा जाएगा :) जहन्नम की यातना का मज़ा चखो।

:49

निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है।

:50

और हमारा आदेश तो केवल एक बार होता है, जैसे आँख की एक झपक।

:51

और निःसंदेह हमने तुम्हारे जैसे कई समूहों को विनष्ट कर दिया, तो क्या है कोई नसीहत हासिल करने वाला?

:52

और उन्होंने जो कुछ भी किया वह किताबों (कर्मपत्रों) में दर्ज है।

:53

और हर छोटी और बड़ी बात लिखी हुई है।

:54

निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वाले बाग़ो और नहरों में होंगे।

:55

सत्य की सभा में, महान बादशाह के पास, जो असीम शक्ति वाला है।