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क़सम है उन (हवाओं) की जो (धूल आदि) उड़ाने वाली हैं!

2

फिर पानी का बड़ा भारी बोझ उठाने वाले बादलों की!

3

फिर आसानी से चलने वाली नावों की!

4

फिर (अल्लाह का) आदेश बाँटने वाले (फ़रिश्तों की)!

5

निःसंदेह जो तुमसे वादा किया जाता है, निश्चय वह सत्य है।

6

तथा निःसंदेह हिसाब अनिवार्य रूप से घटित होने वाला है।

7

क़सम है रास्तों वाले आकाश की!

8

निःसंदेह तुम निश्चय एक विवादास्पद बात में पड़े हो।

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उससे वही फेरा जाता है, जो (अल्लाह के ज्ञान में) फेर दिया गया है।

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अटकल लगाने वाले मारे गए।

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जो बड़ी ग़फ़लत में भूले हुए हैं।

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वे पूछते हैं कि बदले का दिन कब है?

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जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे।

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अपने फ़ितने (यातना) का मज़ा चखो, यही है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।

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निःसंदेह परहेज़गार लोग बाग़ों और जल स्रोतों में होंगे।

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जो कुछ उनका रब उन्हें देगा, उसे वे लेने वाले होंगे। निश्चय ही वे इससे पहले नेकी करने वाले थे।

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वे रात के बहुत थोड़े भाग में सोते थे।

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तथा रात्रि की अंतिम घड़ियों में वे क्षमा याचना करते थे।

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और उनके धनों में माँगने वाले तथा वंचित के लिए एक हक़ (हिस्सा) था।

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तथा धरती में विश्वास करने वालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।

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तथा स्वयं तुम्हारे भीतर (भी)। तो क्या तुम नहीं देखते?

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और आकाश ही में तुम्हारी रोज़ी है तथा वह भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है।

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सो क़सम है आकाश एवं धरती के पालनहार की! निःसंदेह यह बात निश्चित रूप से सत्य है, इस बात की तरह कि निःसंदेह तुम बोलते हो।

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क्या आपके पास इबराहीम के सम्मानित अतिथियों की सूचना आई है?

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जब वे उसके पास आए, तो उन्होंने सलाम कहा। उसने कहा : सलाम हो। कुछ अपरिचित लोग हैं।

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फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया। फिर एक मोटा-ताज़ा (भुना हुआ) बछड़ा ले आया।

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फिर उसे उनके सामने रख दिया। कहा : क्या तुम नहीं खाते?

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तो उसने उनसे दिल में डर महसूस किया। उन्होंने कहा : डरो नहीं। और उन्होंने उसे एक बहुत ही ज्ञानी पुत्र की शुभ-सूचना दी।

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यह सुनकर उसकी पत्नी चिल्लाती हुई आगे आई, तो उसने अपना चेहरा पीट लिया और बोली : बूढ़ी बाँझ!

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उन्होंने कहा : तेरे पालनहार ने ऐसे ही फरमाया है। निश्चय वही पूर्ण हिकमत वाला, अत्यंत ज्ञानी है।

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उसने कहा : ऐ भेजे हुए (दूतो!) तुम्हारा अभियान क्या है?

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उन्होंने कहा : निःसंदेह हम कुछ अपराधी लोगों की ओर भेजे गए हैं।

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ताकि हम उनपर मिट्टी के पत्थर बरसाएँ।

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जो तुम्हारे पालनहार के पास से सीमा से आगे बढ़ने वालों के लिए चिह्नित हैं।

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फिर हमने उस (बस्ती) में जो भी ईमानवाले थे उन्हें निकाल लिया।

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तो हमने उसमें मुसलमानों के एक घर के सिवा कोई और नहीं पाया।

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तथा हमने उसमें उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुःखदायी यातना से डरते हैं।

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तथा मूसा (की कहानी) में (भी एक निशानी है), जब हमने उसे फ़िरऔन की ओर एक स्पष्ट प्रमाण देकर भेजा।

39

तो उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और उसने कहा : यह जादूगर है, या पागल।

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अंततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया, फिर उन्हें समुद्र में फेंक दिया, जबकि वह एक निंदनीय काम करने वाला था।

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तथा आद में, जब हमने उनपर बाँझ हवा भेजी दी।

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वह जिस चीज़ पर से भी गुज़रती, उसे सड़ी हुई हड्डी की तरह कर देती थी।

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तथा समूद में, जब उनसे कहा गया कि एक समय तक के लिए लाभ उठा लो।

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फिर उन्होंने अपने पालनहार के आदेश की अवज्ञा की, तो उन्हें कड़क ने पकड़ लिया और वे देख रहे थे।

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फिर उनमें न तो खड़े होने की शक्ति थी और न ही वे प्रतिकार करने वाले थे।

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तथा इससे पहले नूह़ की जाति को (विनष्ट कर दिया)। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे।

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तथा आकाश को हमने शक्ति के साथ बनाया और निःसंदेह हम निश्चय विस्तार करने वाले हैं।

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तथा धरती को हमने बिछा दिया, तो हम क्या ही खूब बिछाने वाले हैं।

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तथा हमने हर चीज़ के दो प्रकार बनाए, ताकि तुम नसीहत ग्रहण करो।

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अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। निश्चय ही मैं तुम्हारे लिए उसकी ओर से स्पष्ट सचेतकर्ता हूँ।

51

और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य मत बनाओ। निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए उसकी ओर से खुला डराने वाला हूँ।

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इसी प्रकार, उन लोगों के पास जो इनसे पहले थे, जब भी कोई रसूल आया, तो उन्होंने कहा : यह जादूगर है, या पागल।

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क्या उन्होंने एक-दूसरे को इस (बात) की वसीयत की है? बल्कि वे (स्वयं ही) सरकश लोग हैं।

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अतः आप उनसे मुँह फेर लें। क्योंकि आपपर कोई दोष नहीं है।

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तथा आप नसीहत करें। क्योंकि निश्चय नसीहत ईमानवालों को लाभ देताी है।

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और मैंने जिन्नों तथा मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी इबादत करें।

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मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ।

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निःसंदेह अल्लाह ही बहुत रोज़ी देनेवाला, बड़ा शक्तिशाली, अत्यंत मज़बूत है।

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अतः निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उनके साथियों के हिस्से की तरह (यातना का) एक हिस्सा है। सो वे मुझसे जल्दी न मचाएँ।

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अतः इनकार करने वालों के लिए उनके उस दिन से बड़ा विनाश है, जिसका उनसे वादा किया जा रहा है।