क़सम है फ़ज्र (उषाकाल) की!
तथा दस रातों की!
और सम (जोड़े) और विषम (अकेले) की!
और रात की, जब वह चलती है!
निश्चय इसमें बुद्धिमान के लिए बड़ी क़सम है?
क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे पालनहार ने "आद" के साथ किस तरह किया?
(वे आद) जो स्तंभों वाले 'इरम' (गोत्र के लोग) थे।
जिनके समान (दुनिया के) शहरों में कोई पैदा नहीं किया गया।
तथा 'समूद' के साथ (किस तरह किया) जिन्होंने वादी में चट्टानों को तराशा।
और मेखों वाले फ़िरऔन के साथ (किस तरह किया)।
वे लोग, जो नगरों में हद से बढ़ गए।
और उनमें बहुत अधिक उपद्रव फैलाया।
तो तेरे पालनहार ने उनपर यातना का कोड़ा बरसाया।
निःसंदेह तेरा पालनहार निश्चय घात में है।
लेकिन मनुष्य (का हाल यह है कि) जब उसका पालनहार उसका परीक्षण करे, फिर उसे सम्मानित करे और नेमत प्रदान करे, तो कहता है कि मेरे पालनहार ने मुझे सम्मानित किया।
लेकिन जब वह उसका परीक्षण करे, फिर उसपर उसकी रोज़ी तंग कर दे, तो कहता कि मेरे पालनहार ने मुझे अपमानित किया।
हरगिज़ ऐसा नहीं, बल्कि तुम अनाथ का सम्मान नहीं करते।
तथा तुम एक-दूसरे को ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हो।
और तुम मीरास का सारा धन समेटकर खा जाते हो।
और तुम धन से बहुत अधिक प्रेम करते हो।
हरगिज़ नहीं! जब धरती कूट-कूटकर चूर्ण-विचूर्ण कर दी जाएगी।
और तेरा पालनहार आएगा और फ़रिश्ते जो पंक्तियों में होंगे।
और उस दिन नरक लाई जाएगी। उस दिन इनसान याद करेगा। लेकिन उस दिन याद करना उसे कहाँ से लाभ देगा।
वह कहेगा : ऐ काश! मैंने अपने (इस) जीवन के लिए कुछ आगे भेजा होता।
चुनाँचे उस दिन उस (अल्लाह) के दंड जैसा दंड कोई नहीं देगा।
और न उसके बाँधने जैसा कोई बाँधेगा।
ऐ संतुष्ट आत्मा!
अपने पालनहार की ओर लौट चल, इस हाल में कि तू उससे प्रसन्न है, उसके निकट पसंदीदा है।
अतः तू मेरे बंदों में प्रवेश कर जा।
और मेरी जन्नत में प्रवेश कर जा।