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अपने सर्वोच्च पालनहार के नाम की पवित्रता का वर्णन करो।

2

जिसने पैदा किया और ठीक-ठीक बनाया।

3

और जिसने (हर चीज़ को) अनुमानित किया, फिर मार्ग दिखाया।

4

और जिसने चारा उगाया।

5

फिर उसे (सुखाकर) काले रंग का कूड़ा बना दिया।

6

(ऐ नबी!) हम तुम्हें ऐसा पढ़ाएँगे कि तुम नहीं भूलोगे।

7

परन्तु जो अल्लाह चाहे। निश्चय ही वह खुली बात को जानता है और उस बात को भी जो छिपी हुई है।

8

और हम तुम्हारे लिए सरल मार्ग आसान कर देंगे।

9

तो आप नसीहत करते रहें। अगर नसीहत करना लाभदायक हो।

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वह व्यक्ति उपदेश ग्रहण करेगा, जो डरता है।

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और उससे दूर रहेगा, जो सबसे बड़ा अभागा है।

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जो सबसे बड़ी आग में प्रवेश करेगा।

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फिर वह उसमें न मरेगा, न जिएगा।

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निश्चय वह सफल हो गया, जो पाक हो गया।

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तथा अपने पालनहार के नाम को याद किया और नमाज़ पढ़ी।

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बल्कि तुम सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो।

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हालाँकि आख़िरत बहुत उत्तम और अधिक बाक़ी रहने वाली है।

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निःसंदेह यह बात पहले सह़ीफ़ों (ग्रंथों) में है।

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इबराहीम तथा मूसा के सह़ीफ़ों (ग्रंथों) में।