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1

ता, सीन, मीम।

2

ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।

3

शायद (ऐ रसूल!) आप अपने आपको हलाक करने वाले हैं, इसलिए कि वे ईमान नहीं लाते।

4

यदि हम चाहें, तो उनपर आकाश से कोई निशानी उतार दें, फिर उसके सामने उनकी गर्दनें झुकी रह जाएँ।

5

और जब भी 'रह़मान' (अति दयावान्) की ओर से उनके पास कोई नई नसीहत आती है, तो वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।

6

अतः निःसंदेह उन्होंने झुठला दिया, तो शीघ्र ही उनके पास उस चीज़ की खबरें आ जाएँगी, जिसका वे उपहास उड़ाया करते थे।

7

और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें हर उत्तम प्रकार के कितने पौधे उगाए हैं?

8

निःसंदे इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। (परंतु) उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे।

9

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

10

और जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि उन ज़ालिम लोगों के पास जाओ।

11

फ़िरऔन की जाति के पास। क्या वे डरते नहीं?

12

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे।

13

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती, अतः हारून की ओर संदेश भेज।

14

और उनका मुझपर एक अपराध का आरोप है। अतः मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।

15

(अल्लाह ने) फरमाया : ऐसा कभी नहीं होगा, अतः तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ। निःसंदेह हम तुम्हारे साथ ख़ूब सुनने वाले हैं।

16

तो तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ और कहो कि निःसंदेह हम सारे संसारों के पालनहार के संदेशवाहक हैं।

17

कि तू बनी इसराईल को हमारे साथ भेज दे।

18

(फ़िरऔन ने) कहा : क्या हमने तुझे अपने यहाँ इस हाल में नहीं पाला कि तू बच्चा था और तू हमारे बीच अपनी आयु के कई वर्ष रहा?

19

और तूने अपना वह काम किया, जो तूने किया। और तू अकृतज्ञों में से है।

20

(मूसा ने) कहा : मैंने उस समय वह काम इस हाल में किया कि मैं अनजानों में से था।

21

फिर मैं तुम्हारे पास से भाग गया, जब मैं तुमसे डरा, तो मेरे पालनहार ने मुझे हुक्म (नुबुव्वत एवं ज्ञान) प्रदान किया और मुझे रसूलों में से बना दिया।

22

और यह कोई उपकार है, जो तू मुझपर जता रहा है कि तूने बनी इसराईल काे ग़ुलाम बना रखा है।

23

फ़िरऔन ने कहा : और 'रब्बुल-आलमीन' (सारे संसारों का पालनहार) क्या है?

24

(मूसा ने) कहा : जो आकाशों और धरती का रब है और जो उनके बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।

25

उसने अपने आस-पास के लोगों से कहा : क्या तुम सुनते नहीं?

26

(मूसा ने) कहा : जो तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।

27

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, अवश्य पागल है।

28

(मूसा ने) कहा : जो पूर्व तथा पश्चिम रब है और उसका भी जो उन दोनों के बीच है, अगर तुम समझते हो।

29

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय यदि तूने मेरे अलावा किसी और को पूज्य बनाया, तो मैं तुझे अवश्य ही बंदी बनाए हुए लोगों में शामिल कर दूँगा।‌

30

(मूसा ने) कहा : क्या भले ही मैं तेरे पास कोई स्पष्ट चीज़ ले आऊँ?

31

उसने कहा : तू उसे ले आ, यदि तू सच्चे लोगों में से है।

32

फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।

33

तथा उसने अपना हाथ निकाला, तो एकाएक वह देखने वालों के लिए सफेद (चमकदार) था।

34

उसने अपने आस-पास के प्रमुखों से कहा : निश्चय यह तो एक बड़ा कुशल जादूगर है।

35

जो चाहता है कि अपने जादू के साथ तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल दे। तो तुम क्या आदेश देते हो?

36

उन्होंने कहा : इसके तथा इसके भाई को मोहलत दें और नगरों में (लोगों को) जमा करने वालों को भेज दें।

37

कि वे तेरे पास हर बड़ा जादूगर ले आएँ, जो जादू में बहुत कुशल हो।

38

तो जादूगर एक निश्चित दिन के नियत समय पर इकट्ठा कर लिए गए।

39

तथा लोगों से कहा गया : क्या तुम एकत्र होने वाले हो?

40

शायद हम इन जादूगरों के अनुयायी बन जाएँ, यदि वही विजयी हों।

41

फिर जब जादूगर आ गए, तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा : क्या सचमुच हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभावी रहे?

42

उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम उस समय निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।

43

मूसा ने उनसे कहा : फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।

44

तो उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं और कहा : फ़िरऔन के प्रभुत्व की सौगंध! निःसंदेह हम, निश्चय हम ही विजयी रहेंगे।

45

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी, तो एकाएक वह उन चीज़ों को निगल रही थी, जो वे झूठ बना रहे थे।

46

इसपर जादूगर सजदा करते हुए गिर गए।

47

उन्होंने कहा : हम सारे संसारों के पालनहार पर ईमान ले आए।

48

मूसा तथा हारून के पालनहार पर।

49

(फ़िरऔन ने) कहा : तुम उसपर ईमान ले आए, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निःसंदेह यह अवश्य तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। अतः निश्चय तुम जल्दी जान लोगे। मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशा से काट दूँगा तथा निश्चय तुम सभी को अवश्य बुरी तरह सूली पर चढ़ा दूँगा।

50

उन्होंने कहा : कोई नुक़सान नहीं, निश्चित रूप से हम अपने पालनहार की ओर पलटने वाले हैं।

51

हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे लिए, हमारे पापों को क्षमा कर देगा, इस कारण कि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।

52

और हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।

53

तो फ़िरऔन ने नगरों में (सेना) एकत्र करने वालों को भेज दिया।

54

कि निःसंदेह ये लोग एक छोटा-सा समूह हैं।

55

और निःसंदेह ये हमें निश्चित रूप से गुस्सा दिलाने वाले हैं।

56

और निश्चय ही हम सब चौकन्ना रहने वाले हैं।

57

इस तरह हमने उन्हें बाग़ों और सोतों से निकाल दिया।

58

तथा ख़ज़ानों और उत्तम आवासों से।

59

ऐसा ही हुआ और हमने उनका वारिस बनी इसराईल को बना दिया।

60

तो उन्होंने सूर्योदय के समय उनका पीछा किया।

61

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।

62

(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।

63

तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की तरह हो गया।

64

तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।

65

और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।

66

फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।

67

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।

68

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl

69

तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।

70

जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?

71

उन्होंने कहा : हम कुछ मूर्तियों की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।

72

उसने कहा : क्या वे तुम्हें सुनते हैं, जब तुम (उन्हें) पुकारते हो?

73

या तुम्हें लाभ देते हैं, या हानि पहुँचाते हैं?

74

उन्होंने कहा : बल्कि हमने अपने बाप-दादा को पाया कि वे ऐसा ही करते थे।

75

उसने कहा : तो क्या तुमने देखा कि जिनको तुम पूजते रहे।

76

तुम तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा?

77

सो निःसंदेह वे मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसारों के पालनहार के।

78

वह जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।

79

और वही जो मुझे खिलाता है और मुझे पिलाता है।

80

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।

81

तथा वह जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा।

82

तथा वह, जिससे मैं आशा रखता हूँ कि वह बदले के दिन मेरे पाप क्षमा कर देगा।

83

ऐ मेरे पालनहार! मुझे हुक्म (धर्म का ज्ञान) प्रदान कर और मुझे नेक लोगों के साथ मिला।

84

और बाद में आने वालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।

85

और मुझे नेमतों वाली जन्नत के वारिसों में से बना दे।

86

तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय वह गुमराहों में से था।

87

तथा मुझे रुसवा न कर, जिस दिन लोग उठाए जाएँगे।

88

जिस दिन न कोई धन लाभ देगा और न बेटे।

89

परंतु जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया।

90

और (अपने रब से) डरने वालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।

91

तथा पथभ्रष्ट लोगों के लिए भड़कती आग प्रकट कर दी जाएगी।

92

तथा उनसे कहा जाएगा : कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूजते थे?

93

अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करते हैं, या अपनी रक्षा करते हैं?

94

फिर वे और सब पथभ्रष्ट लोग उसमें औंधे मुँह फेंक दिए जाएँगे।

95

और इबलीस की समस्त सेनाएँ भी।

96

वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहेंगे :

97

अल्लाह की क़सम! निःसंदेह हम निश्चय खुली गुमराही में थे।

98

जब हम तुम्हें सारे संसारों के पालनहार के बराबर ठहराते थे।

99

और हमें तो सिर्फ़ इन अपराधियों ने गुमराह किया।

100

अब न हमारे लिए कोई सिफारिश करने वाले हैं।

101

और न कोई घनिष्ट मित्र।

102

तो यदि वास्तव में हमारे लिए वापस जाने का अवसर होता, तो हम ईमानवालों में से हो जाते।

103

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

104

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl

105

नूह़ की जाति ने रसूलों को झुठलाया।

106

जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं?

107

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

108

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

109

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

110

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

111

उन्होंने कहा : क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ, जबकि तेरे पीछे चलने वाले अत्यंत नीच लोग हैं?

112

(नूह़ ने) कहा : मूझे क्या मालूम कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?

113

उनका ह़िसाब तो मेरे पालनहार ही के ज़िम्मे है, यदि तुम समझो।

114

और मैं ईमान वालों को धुतकारने वाला नहीं हूँ।

115

मैं तो बस एक खुला डराने वाला हूँ

116

उन्होंने कहा : ऐ नूह़! यदि तू बाज़ नहीं आया, तो अवश्य संगसार किए गए लोगों में से हो जाएगा।

117

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया!

118

अतः तू मेरे और उनके बीच दो-टूक निर्णय कर दे, तथा मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले।

119

तो हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ भरी हुई नाव में थे, बचा लिया।

120

फिर उसके बाद शेष लोगों को डुबो दिया।

121

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

122

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

123

आद ने रसूलों को झुठलाया।

124

जब उनसे उनके भाई हूद ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

125

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

126

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

127

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

128

क्या तुम हर ऊँचे स्थान पर एक स्मारक बनाते हो? इस स्थिति में कि व्यर्थ कार्य करते हो।

129

तथा बड़े-बड़े भवन बनाते हो, शायद कि तुम सदा जीवित रहोगे।

130

और जब तुम पकड़ते हो, तो बड़ी निर्दयता से पकड़ते हो।

131

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसे मानो।

132

तथा उससे डरो जिसने उन चीज़ों से तुम्हारी मदद की, जिन्हें तुम जानते हो।

133

उसने चौपायों और बेटों से तुम्हारी मदद की।

134

तथा बाग़ों और जल स्रोताें से।

135

निश्चय ही मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।

136

उन्होंने कहा : हमारे लिए बराबर है कि तू नसीहत करे, या नसीहत करने वालों में से हो।

137

यह तो केवल पहले लोगों की आदत है।

138

और हम निश्चित रूप से दंडित नहीं होंगे।

139

तो उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमानवाले नहीं थे।

140

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

141

समूद ने रसूलों को झुठलाया।

142

जब उनसे उनके भाई सालेह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

143

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

144

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसका पालन करो।

145

मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

146

क्या तुम उन चीज़ों में जो यहाँ हैं, निश्चिंत छोड़ दिए जाओगे?

147

बाग़ों तथा स्रोतों में।

148

तथा खेतों और खजूर के पेड़ों में, जिनके फल मुलायम और पके हुए हैं।

149

तथा तुम पर्वतों को काटकर बड़ी निपुणता के साथ घर बनाते हो।

150

अतः अल्लाह से डरो और मेरा आज्ञापालन करो।

151

और हद से आगे बढ़ने वालों का हुक्म न मानो।

152

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं और सुधार नहीं करते।

153

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू उन लोगों में से है जिनपर प्रबल जादू किया गया है।

154

तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य है। अतः कोई निशानी ले आ, यदि तू सच्चों में से है।

155

उसने कहा : यह एक ऊँटनी है। इसके लिए पानी पीने की एक बारी है और तुम्हारे लिए एक निश्चित दिन पानी पीने की बारी है।

156

तथा उसे किसी बुराई से हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक बड़े दिन की यातना पकड़ लेगी।

157

तो उन्होंने उसकी कूँचें काट दीं, फिर पछताने वाले हो गए।

158

तो उन्हें यातना ने पकड़ लिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

159

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

160

लूत की जाति ने रसूलों को झुठलाया।

161

जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

162

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

163

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

164

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

165

क्या सभी संसारों में से तुम पुरुषों के पास आते हो।

166

तथा उन्हें छोड़ देते हो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए तुम्हारी पत्नियाँ पैदा की हैं। बल्कि तुम हद से आगे बढ़ने वाले लोग हो।

167

उन्होंने कहा : ऐ लूत! निःसंदेह यदि तू नहीं रुका, तो निश्चित रूप से तू अवश्य निष्कासित लोगों में से हो जाएगा।

168

उसने कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारे काम से सख़्त घृणा करने वालों में से हूँ।

169

ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे घर वालों को उससे बचा ले, जो ये करते हैं।

170

तो हमने उसे और उसके सभी घर वालों को बचा लिया।

171

सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रहने वालों में से थी।

172

फिर हमने दूसरों को विनष्ट कर दिया।

173

और हमने उनपर ज़ोरदार बारिश बरसाई। तो उन लोगों की बारिश बहुत बुरी थी, जिन्हें डराया गया था।

174

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

175

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

176

ऐका वालों ने रसूलों को झुठलाया।

177

जब उनसे शुऐब ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

178

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

179

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

180

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

181

नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो।

182

और सीधे तराज़ू से तोलो।

183

और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो।

184

और उससे डरो, जिसने तुम्हें तथा पहले लोगों को पैदा किया है।

185

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू तो उन लोगों में से है जिनपर ताक़तवर जादू किया गया है।

186

और तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य है और निःसंदेह हम तो तुझे झूठों में से समझते हैं।

187

तो हम पर आसमान से कुछ टुकड़े गिरा दे, यदि तू सच्चों में से है।

188

उसने कहा : मेरा पालनहार अधिक जानने वाला है जो कुछ तुम कर रहे हो।

189

चुनाँचे उन्होंने उसे झुठला दिया। तो उन्हें छाया के दिन की यातना ने पकड़ लिया। निश्चय वह एक बड़े दिन की यातना थी।

190

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

191

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

192

तथा निःसंदेह, यह (क़ुरआन) निश्चय सारे संसारों के पालनहार का उतारा हुआ है।

193

इसे रूह़ुल-अमीन (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है।

194

आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।

195

स्पष्ट अरबी भाषा में।

196

तथा निःसंदेह यह निश्चित रूप से पहले लोगों की पुस्तकों में मौजूद है।

197

क्या उनके लिए यह एक निशानी न थी है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते हैं।

198

और यदि हम इसे ग़ैर-अरब लोगों में से किसी पर उतार देते।

199

फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी वे उसपर ईमान लाने वाले न होते।

200

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के हृदयों में प्रवेश कर दिया।

201

वे उसपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना देख लें।

202

तो वह उनपर अचानक आ पड़े और वे सोचते भी न हों।

203

फिर वे कहें : क्या हम मोहलत दिए जाने वाले हैं

204

तो क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?

205

तो क्या आपने विचार किया यदि हम इन्हें कुछ वर्षों तक लाभ दें।

206

फिर उनपर वह (यातना) आ जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता था।

207

तो उन्हें जो लाभ दिया जाता था, वह उनके किस काम आएगा?

208

और हमने किसी बस्ती को विनष्ट नहीं किया, परंतु उसके लिए कई सावधान करने वाले थे।

209

याद दिलाने के लिए। और हम अत्याचारी नहीं थे।

210

तथा इस (क़ुरआन) को लेकर शैतान नहीं उतरे।

211

और न यह उनके योग्य है, और न वे ऐसा कर सकते हैं।

212

निःसंदेह वे तो (इसके) सुनने ही से अलग कर दिए गए हैं।

213

अतः आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें, अन्यथा आप दंड पाने वालों में हो जाएँगे।

214

और आप अपने निकटतम रिश्तेदारों को डराएँ।

215

और ईमान वालों में से जो आपका अनुसरण करे, उसके लिए अपना बाज़ू झुका दें।

216

फि यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि तुम जो कुछ कर रहे हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।

217

तथा उस सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् पर भरोसा करें।

218

जो आपको देखता है, जब आप खड़े होते हैं।

219

और सजदा करने वालों में आपके फिरने को भी।

220

निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।

221

क्या मैं आपको बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते हैं?

222

वे हर बड़े झूठे और बड़े पापी पर उतरते हैं।

223

वे सुनी हुई बात को (काहिनों तक) पहुँचा देते हैं, और उनमें से अधिकतर झूठे हैं।

224

और कवि लोग, उनके पीछे भटके हुए लोग ही चलते हैं।

225

क्या आपने नहीं देखा कि वे प्रत्येक वादी में भटकते फिरते हैं।

226

और यह कि निःसंदेह ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।

227

सिवाय उन (कवियों) के, जो ईमान लाए, और अच्छे कर्म किए और अल्लाह को बहुत याद किया तथा बदला लिया, इसके बाद कि उनके ऊपर ज़ुल्म किया गया। तथा वे लोग, जिन्होंने अत्याचार किया, शीघ्र ही जान लेंगे कि वे किस जगह लौटकर जाएँगे।